पर हम अंजाने हो गये
रिश्ते सभी अब तो बेगाने हो गये
बिना पढ़े ही लोग सयाने हो गये ।
वैसे तो आपस में रोज ही मिलते हैं
अपनेपन से मिले तो जमाने हो गये ।
एक तब्बसुम को तरसते हैं अब होंठ
पलकें अश्कों के आशियाने हो गये ।
शरीक नहीं होते लोग अपनों की खुशी में
वक्त न मिलने के बहाने हो गये ।
जज़्बा दोस्ती का न जाने कहां है गुम
दोस्त मिला तो पर हम अंजाने हो गये ।
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