पर हम अंजाने हो गये

पर हम अंजाने हो गये
रिश्ते सभी अब तो बेगाने हो गये
बिना पढ़े ही लोग सयाने हो गये ।

वैसे तो आपस में रोज ही मिलते हैं
अपनेपन से मिले तो जमाने हो गये ।

एक तब्बसुम को तरसते हैं अब होंठ
पलकें अश्कों के आशियाने हो गये ।

शरीक नहीं होते लोग अपनों की खुशी में
वक्त न मिलने के बहाने हो गये ।

जज़्बा दोस्ती का न जाने कहां है गुम
दोस्त मिला तो पर हम अंजाने हो गये ।
-०-

कोई टिप्पणी नहीं: