ठंड की धूप में

समन्दर कभी आसमां पर नहीं छाते,
ठंड की धूप में कभी साये नहीं भाते ।

परदों को पार रोशनी नहीं कर पाती,
कच्ची नींद में कभी ख़्वाब नहीं आते ।

कुछ सवाल इस क़दर जटिल होते हैं,
कोशिशों पर बी उसके जवाब नहीं आते ।

आसां नहीं ग़म व खुशी में फर्क करना,
हर शाख पर यहां गुलाब नहीं आते ।
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