कतआत - इक्कीस से तीस

21
तरबतर है ज़िंदगी नफरतों से यहां
ख़्वाहिश है कि सबा प्यार की तो बहे।
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22
आओ दिलों को प्यार से भर दे इस कदर।
कि उसमें इंतकाम के लिए जगह ही न बचे।
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23
फिज़ा पर ये रंगत खुद ही नहीं छाई है,
ये शाम दोस्तों यूं ही नहीं उतर आई है।
बहती खून की नदियाँ गवाह थी इस बात की,
शहीदों की कुर्बानियों के बाद ये आजादी पाई है।
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24
जो हम न कर सके वो किया है शहीदों ने
वतन के प्यार का अमृत पिया है शहीदों ने।
हम तो सिर्फ सांस ही लेते हैं इस जहां में,
ज़िन्दगी को वास्तव में जिया है शहीदों ने।
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25
दिल से दिल मिलने का अंजाम है दोस्ती,
किसी शायर का हसीन कलाम है दोस्ती।
हर मुसीबत से यार को बाहर निकाल दे,
खुदा की ऐसी नेमत का ही नाम है दोस्ती।
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26
प्यार तो ऐसा खजाना होता है,
जिसे लुटा कर ही कुछ पाना होता है।
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27
संकोच में जब बंद जुब़ां होती है।
बात दिल की नज़रों से बय़ां होती है।
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28
होंसला थोड़ा नहीं जियादा रखते हैं।
आसमां से भी बुलंद इरादा रखते हैं।
सोच हमारी ज़रा हट के ही रहती है,
शीशे से पत्थर तोड़ने का माद्दा रखते हैं।
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29
सोच औरों से कुछ जुदा रखना।
संग हमेशा अपने खुदा रखना।
उनके आने की उम्मीद है किसी भी पल,
दरवाजा दिल का जरा खुला रखना।
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30
हम फासले अपने यूं कम करेंगे,
कुछ तुम चलो कुछ हम भी चलेंगे।
थोड़ी जगह तो दो दिल में प्यार को भी,
फूल चाहतों के लोगों को दरमियां खिलेंगे।
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