चराग बहुत हैं पर उजाला नज़र नहीं आता
दरख्तों के बीच कोई गजाला नज़र नहीं आता ।
शोर बहुत सुना है जहां की खूबसूरती का पर
हमें कोई हसीन नजारा नज़र नहीं आता ।
उम्र यारी की भी आजकल कम हो चली है,
दोस्त संग घूमता दोबारा नज़र नहीं आता ।
तूफानों की तब और भी बन आती है,
कश्ती को जब किनारा नज़र नहीं आता ।
वक्त जब बुरा सा आता है किसी का
डूबते को तिनके का सहारा नज़र नहीं आता ।
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