खुशी में तो हंसते ही हो ग़म में भी मुस्कुराईये,
ज़िन्दगी तो यूं भी उलझी है इसे और न उलझाईये
दीवारें छत जोड़ कर हम मकान तो बड़ा बनाते हैं,
जो प्यार से हो शराबोर घर एक ऐसा भी बनाईये ।
जब भी खुशी की तलाश में भटक रहे हों आप,
जा कर किसी ग़रीब के ज़ख्मों को ज़रा सहलाईये ।
वक्त नहीं होता हरदम किसी एक पर मेहरबान,
ये बात ज़रा गुरुर के दीवाने को समझाईये ।
-०-
सदस्यता लें
संदेश (Atom)